हिंदू कैलेंडर में, पापमोचनी एकादशी एक विशेष महत्व रखने वाला पर्व है, जो भक्तों को उनके कर्मों के बंधनों से मुक्त होने का अवसर प्रदान करता है। वर्ष 2024 में, यह पावन तिथि 5 अप्रैल, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।
एकादशी तिथि प्रारंभ: 04 अप्रैल 2024 को शाम 04:14 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 05 अप्रैल 2026 को दोपहर 01:28 बजे
व्रत पारण का शुभ मुहूर्त: 06 अप्रैल 2024 को सुबह 06:05 बजे से 08:37 बजे तक
पापमोचनी एकादशी का नाम ही अपने आप में इसका महत्व प्रकट करता है। "पापमोचनी" शब्द का अर्थ है पापों का नाशक। माना जाता है कि इस पवित्र दिन भगवान विष्णु की आराधना और विधि-विधान से व्रत रखने से व्यक्ति अपने पूर्वजन्मों के साथ वर्तमान जन्म के सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। इस दिन किए गए दान, पुण्य और सत्कर्मों का फल भी अनेक गुना बढ़ जाता है।
2024 पापमोचनी एकादशी शुभ रवियोग में पड़ रही है, जो इस पर्व के महत्व को और बढ़ा देता है। इस योग में की गई पूजा-पाठ विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।
इस दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु का ध्यान करें और उन्हें पुष्प, तुलसी, फल आदि अर्पित करें।
तुलसी की माला से "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र का जप करें।
गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करें।
रात्रि में भजन-कीर्तन का आयोजन करें और भगवान का स्मरण करते हुए जागरण करें।
पापों का नाश और आत्मशुद्धि।
मोक्ष की प्राप्ति की ओर कदम बढ़ाना।
सौभाग्य, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद।
मन की शुद्धि और सकारात्मक विचारों का विकास।
पितरों का तर्पण और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना।
व्रत के दिन अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। आप फलाहार पर निर्भर रह सकते हैं, जिसमें फल, दूध, सूखे मेवे आदि शामिल हैं।
तामसिक भोजन और नशा करने वाले पदार्थों का त्याग करना चाहिए।
क्रोध, ईर्ष्या और नकारात्मक विचारों से खुद को दूर रखें और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें।
दिन भर भजन-कीर्तन और ध्यान का अभ्यास करने से आत्मिक शांति मिलती है।
असहायों की सहायता करें और दान-पुण्य के कार्यों में भाग लें।
कुछ क्षेत्रों में इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा करने की परंपरा है, क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी प्रिय है।
दक्षिण भारत में इस एकादशी को "रंगभोमी एकादशी" के नाम से भी जाना जाता है।
पापमोचनी एकादशी को भगवान कृष्ण के जन्मदिवस के एक दिन बाद मनाया जाता है, जिससे इसके महत्व को और बढ़ावा मिलता है।
समापन: पापमोचनी एकादशी 2024
हमने देखा कि पापमोचनी एकादशी का महत्व क्या है और इसे कैसे मनाया जाता है। यह पर्व हमें पापों से मुक्ति प्राप्त करने का अवसर देता है और हमें सकारात्मक ऊर्जा और ध्यान की ओर उत्तेजित करता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु की आराधना करके हम सभी अपने कर्मों के बंधनों से मुक्ति की प्राप्ति की शुभकामनाएं करते हैं। इस विशेष दिन के महत्व को अपने जीवन में समाहित करके हम आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकते हैं। इसलिए, पापमोचनी एकादशी का पालन करते हुए हम सभी अपने जीवन को सकारात्मक और प्रगतिशील बना सकते हैं।
1. क्या पापमोचनी एकादशी का व्रत रखना अनिवार्य है?
जी नहीं, पापमोचनी एकादशी का व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन भक्त अपनी इच्छा और श्रद्धा के अनुसार व्रत रख सकते हैं।
2. क्या एकादशी तिथि के दौरान किसी भी तरह का काम करना मना है?
एकादशी तिथि के दौरान अनावश्यक कामों से बचना चाहिए, लेकिन आवश्यक और धर्म के अनुकूल कार्यों को करना प्रतिबंधित नहीं है।
3. पापमोचनी एकादशी के दिन किन दान का महत्व अधिक होता है?
विद्यादान, गौदान और गरीबों की सहायता करना इस दिन के सबसे पुण्यदायी कार्य माने जाते हैं।
4. क्या पापमोचनी एकादशी के बाद किसी विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता है?
पापमोचनी एकादशी के बाद द्वादशी तिथि पर पारण करना आवश्यक है। इसके बाद स्नान करके भगवान को भोग लगाएं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
5. क्या पापमोचनी एकादशी के दौरान मंदिर में जाना जरूरी है?
हालांकि मंदिर में जाकर पूजा करना शुभ माना जाता है, लेकिन आप घर पर भी विधि-विधान से भगवान विष्णु की आराधना कर सकते हैं।
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