मेष संक्रांति तिथि मुहूर्त और पूजा विधि

मेष संक्रांति तिथि मुहूर्त और पूजा विधि
  • 31 Jan 2024
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मेष संक्रांति 2024 तिथि मुहूर्त और पूजा विधि

हर साल दो बार सूर्य राशि परिवर्तन करता है, लेकिन मेष संक्रांति का खास महत्व होता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है और नए साल की शुरुआत का प्रतीक बनता है। 2024 में, मेष संक्रांति 13 अप्रैल, शनिवार को पड़ रही है।
 

हम मेष संक्रांति के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिसमें इसकी तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और परंपराओं के साथ-साथ आपके लिए कुछ खास तैयारियों के बारे में भी बात करेंगे। तो चलिए, सूर्य के नए राशि प्रवेश के इस पावन अवसर की तैयारी करें!

 


मेष संक्रांति की तिथि और मुहूर्त:

 

  • तिथि: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि, 13 अप्रैल 2024।

 

  • शुभ मुहूर्त: प्रात कालीन मुहूर्त - प्रातः 5:51 से 7:38 तक।

 

  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:04 से 12:52 तक।

 


मेष संक्रांति की पूजा विधि:

 

  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

 

  • सूर्योदय से पहले पूजा स्थान को साफ-सुथरा कर एक चौकी लगाएं।

 

  • चौकी पर गेरू का लेप लगाकर उस पर सूर्य देव की प्रतिमा या यंत्र स्थापित करें।

 

  • प्रतिमा को गंगाजल, दूध, दही, चंदन आदि से स्नान कराएं और वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।

 

  • फूल, फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।

 

  • धूप-दीप जलाकर सूर्य देव का ध्यान करते हुए मंत्र जप करें।

 

  • "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का कम से कम 108 बार जप करना शुभ माना जाता है।

 

  • सूर्य देव से अच्छे स्वास्थ्य, सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मांगें।

 

  • अंत में आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।

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यहां पढ़ें: अंग्रेजी में मेष संक्रांति

 

मेष संक्रांति का महत्व:

 

  • मेष संक्रांति नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

 

  • इसे वैदिक नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है।

 

  • इस दिन सूर्य देव की पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

 

  • इसे फसल कटाई के मौसम का प्रारंभ माना जाता है और किसानों के लिए यह खास शुभ होता है।

 

  • मेष संक्रांति से ही विभिन्न राशियों के लिए फलित ज्योतिष का भी प्रारंभ होता है।

 

मेष संक्रांति की परंपराएं:

 

  • इस दिन लोग स्नान कर नए वस्त्र धारण करते हैं।

 

  • सूर्य देव को गन्ने का रस, खिचड़ी और जल का अर्घ्य देते हैं।

 

  • मेले लगते हैं, जहां लोग झूले झूलते हैं, खरीदारी करते हैं और उत्सव का आनंद लेते हैं।

 

  • कुछ क्षेत्रों में लोग घरों में रंगोली बनाते हैं और गीत गाते हैं।

 

मेष संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व:

 

  • वैदिक ज्योतिष में मेष राशि को पहली राशि माना जाता है।

 

  • मेष संक्रांति से ही ग्रहों की गोचर स्थिति के आधार पर सभी बारह राशियों के लिए वार्षिक फलित ज्योतिष का प्रारंभ होता है।

 

  • ज्योतिषी इस दिन विशेष पूजा-पाठ करते हैं और लोगों को राशिफल बताते हैं।

 

यहां पढ़ें: मीन संक्रांति अंग्रेजी में

 

विभिन्न क्षेत्रों में मेष संक्रांति:

 

  • मेष संक्रांति पूरे भारत में मनाई जाती है, लेकिन अलग-अलग क्षेत्रों में इसके नाम और परंपराओं में थोड़ा अंतर हो सकता है।

 

  • पंजाब में इसे वैसाखी, असम में रोंगाली बिहू, केरल में विशु और तमिलनाडु में पुथंडु के नाम से मनाया जाता है।

 

  • हर जगह इसकी अपनी खास परंपराएं होती हैं, लेकिन सूर्य देव की पूजा और नए साल की शुरुआत का स्वागत करना हर जगह समान होता है।

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निष्कर्ष: मेष संक्रांति 2024 

मेष संक्रांति एक पावन अवसर है, जो न केवल सूर्य देव की उपासना का बल्कि नए साल की सकारात्मक शुरुआत का भी प्रतीक है। इस दिन हम अपने जीवन में नई उम्मीदें जगाते हैं और सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। तो आइए, सब मिलकर मेष संक्रांति के त्योहार को धूमधाम से मनाएं और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करें।

 

मेष संक्रान्ति से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

क्या मेष संक्रांति के दौरान उपवास रखना जरूरी है?

इस दिन उपवास रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कुछ लोग सूर्योदय से पूजा समाप्त होने तक उपवास रखते हैं।

 

मेष संक्रांति किस रंग का वस्त्र पहनना चाहिए?

इस दिन लाल, पीला या नारंगी रंग का वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये रंग सूर्य देव के प्रतीक माने जाते हैं।

 

क्या गर्भवती महिलाएं मेष संक्रांति की पूजा कर सकती हैं?

जी हां, गर्भवती महिलाएं मेष संक्रांति की पूजा कर सकती हैं। हालांकि, उन्हें भारी काम करने से बचना चाहिए और आराम करना चाहिए। पूजा के दौरान वे बैठकर पूजा कर सकती हैं।

 

मेष संक्रांति के बाद कौन सा त्योहार आता है?

मेष संक्रांति के बाद अगला बड़ा त्योहार गणगौर होता है, जो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार विवाहित महिलाओं के सौभाग्य और अविवाहित लड़कियों के अच्छे वर की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।

 

मेष संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व क्या है?

मेष संक्रांति से ही ग्रहों की गोचर स्थिति के आधार पर सभी बारह राशियों के लिए वार्षिक फलित ज्योतिष का प्रारंभ होता है। ज्योतिषी इस दिन विशेष पूजा-पाठ करते हैं और लोगों को राशिफल बताते हैं।

 

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