महा शिवरात्रि 2024 तिथि और महत्व

महा शिवरात्रि 2024 तिथि और महत्व
  • 30 Jan 2024
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महा शिवरात्रि 2024 तिथि और महत्व

हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक, महा शिवरात्रि, भगवान शिव के भक्तों के लिए आस्था और उल्लास का केंद्र होता है। हर साल, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व, भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का प्रतीक माना जाता है। 2024 में, महा शिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जाएगी, और भक्त इस पावन अवसर को मनाने के लिए उत्साह से तैयार हैं।

 

आइए, महा शिवरात्रि 2024 के बारे में विस्तार से जानें, इसकी तिथि, समय, पूजा विधि, और पौराणिक कथाओं को गहराई से देखें।

 

महा शिवरात्रि की पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार हैं:

 

निशिता काल पूजा: देर रात 12:07 मिनट से 12:56 मिनट तक

 

प्रहर पूजा: चार प्रहरों में की जाने वाली पूजा, जिनका समय इस प्रकार है:

 

  1. पहला प्रहर: शाम 6:25 मिनट से 9:28 मिनट तक

  2. दूसरा प्रहर: रात 9:28 मिनट से 12:31 मिनट तक

  3. तीसरा प्रहर: रात 12:31 मिनट से 3:34 मिनट तक

  4. चौथा प्रहर: रात 3:34 मिनट से सुबह 6:37 मिनट तक

 

महा शिवरात्रि की पूजा विधि:

 

  • सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

 

  • शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें।

 

  • बिल्व पत्र, धतूरा, आक के फूल आदि चढ़ाएं।

 

  • दीप जलाएं और धूप अगरबत्ती का प्रसाद चढ़ाएं।

 

  • "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जप करें

 

  • रात भर जागरण कर भजन-कीर्तन करें।

 

  • अगले दिन सुबह स्नान के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।

 

महा शिवरात्रि का महत्व:

महा शिवरात्रि का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। यह त्योहार न केवल भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का जश्न मनाता है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति और पापों के नाश का भी मार्ग प्रशस्त करता है। महा शिवरात्रि के दिन व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति, सफलता, और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

 

महा शिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व:

महा शिवरात्रि आध्यात्मिक जागृति का भी समय है। इस दिन ध्यान, मंत्र जाप और उपवास के द्वारा व्यक्ति अपनी आत्मा का शुद्धिकरण कर सकता है और भगवान शिव के करीब आ सकता है। इस पर्व का उद्देश्य अंधकार पर प्रकाश की विजय और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का जश्न मनाना है।

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महा शिवरात्रि का सांस्कृतिक महत्व:

महा शिवरात्रि भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है, शोभायात्राएं निकाली जाती हैं और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। यह पर्व सामाजिक सद्भावना और भाईचारे को बढ़ाने का भी अवसर होता है।

 

महा शिवरात्रि की व्रत कथा:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महा शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। एक अन्य कथा के अनुसार, इसी रात भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था और ब्रह्मांड का नवीनीकरण किया था। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि महा शिवरात्रि के दिन 14 लोकों के द्वार खुले रहते हैं और भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष अवसर मिलता है।

 

निष्कर्ष: महा शिवरात्रि 2024

महा शिवरात्रि भगवान शिव के प्रति भक्तों की अनन्य भक्ति और आस्था का प्रतीक है। यह त्योहार हमें जीवन में संतुलन और परमात्मा से जुड़ने की प्रेरणा देता है। आइए, इस 2024 महा शिवरात्रि को पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाएं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।

 


महा शिवरात्रि से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

क्या घर पर ही महा शिवरात्रि की पूजा की जा सकती है?

हां, बिल्कुल! मंदिर जाना जरूरी नहीं है। आप घर पर ही स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। धूप, दीप, बिल्व पत्र, धतूरा आदि का प्रयोग करें और "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जप करें। पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ की गई पूजा निश्चित रूप से फलदायी होती है।

 

महा शिवरात्रि के दिन क्या खाना चाहिए?

इस दिन फलाहार करना सबसे अच्छा विकल्प है। फल, दूध, नारियल पानी, सूखे मेवे आदि का सेवन करना शुभ माना जाता है। व्रत रखने वाले शाम को फलाहारी भोजन ग्रहण कर सकते हैं, जिसमें लौकी, कद्दू, शकरकंद जैसी सब्जियों से बने व्यंजन शामिल हो सकते हैं।

 

महा शिवरात्रि के दौरान रातभर जागरण का क्या महत्व है?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात भगवान शिव विशेष रूप से प्रसन्न रहते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। रातभर जागरण करके भजन-कीर्तन करने से आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और भगवान शिव के प्रति भक्ति की अभिव्यक्ति होती है।

 

महा शिवरात्रि पर किन कार्यों से बचना चाहिए?

इस पवित्र दिन मांस, मछली, शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। क्रोध, ईर्ष्या और नकारात्मक विचारों से भी बचना चाहिए। शांति और सकारात्मकता बनाए रखें और पूरे दिल से भगवान शिव की भक्ति में लीन हों।

 

महा शिवरात्रि के बाद घर पर मूर्ति या प्रसाद को कैसे संभालें?

शिवलिंग की मूर्ति को साफ धोकर एक स्वच्छ स्थान पर रखें। बचे हुए प्रसाद को परिवार के साथ ग्रहण करें या जरूरतमंद लोगों में बांट दें। मंदिर में जाकर पुराने फूल और पत्तियों को नदी में विसर्जित करें। पूजा की सामग्री का सम्मानपूर्वक निपटान करें।

 

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