हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की तृतीया को कजरी तीज का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 22 अगस्त 2024, गुरुवार को पड़ रहा है। सुहागिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन और पति की दीर्घायु के लिए पूरे श्रद्धाभाव से इस व्रत को रखती हैं। आइए, इस ब्लॉग में कजरी तीज 2024 की तिथि, मुहूर्त, महत्व, अनुष्ठान और लाभों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कजरी तीज तिथि: 22 अगस्त 2024, गुरुवार
तृतीया तिथि आरंभ: 21 अगस्त 2024, बुधवार शाम 5 बजकर 04 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त: 22 अगस्त 2024, गुरुवार शाम 1 बजकर 41 मिनट पर
पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 7:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
कजरी तीज का विशेष महत्व है क्योंकि यह त्योहार सुहागिन महिलाओं के सुखी वैवाहिक जीवन और पति की दीर्घायु के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। कजरी तीज को सातुड़ी तीज और भादो तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व उत्तर प्रदेश, बनारस, मिर्जापुर, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु नावों पर चढ़कर कजरी गीत गाते हैं। यह गीत वर्षा ऋतु का विशेष राग है और मधुरता के लिए जाना जाता है।
कजरी तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान को साफ करके माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा सामग्री जैसे फल, फूल, मिठाई, दूध, दही, शहद, चंदन, दीपक आदि का भोग लगाएं। "ओम नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें और भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करें। कथा सुनें और कजरी गीत गाएं। शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें और फिर पारायण करके व्रत खोलें।
कजरी तीज का व्रत रखने और पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को कई लाभ मिलते हैं, जैसे:
सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
पति की दीर्घायु और कल्याण होता है।
संतान सुख की प्राप्ति होती है।
घर में सुख-समृद्धि आती है।
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मान-सम्मान बढ़ता है।
कजरी तीज के दिन महिलाएं एक-दूसरे के घरों में जाती हैं और मिल-जुलकर पूजा करती हैं। इस दिन हरी साड़ी पहनने का विधान है। पूजा के बाद कजरी गीत गाए जाते हैं और झूला झूलते हैं। शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। इस दिन मेहंदी लगाने और खास तरह के व्यंजन बनाने की भी परंपरा है।
परंपरागत रूप से, कजरी तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं रखती हैं। हालांकि, अविवाहित लड़कियां भी मनचाहा वर पाने की कामना से या सुखी वैवाहिक जीवन की आशा से व्रत रख सकती हैं।
इस दिन मुख्य रूप से जौ, गेहूं, चना मटर और चावल के सत्तू से बने व्यंजन बनाए जाते हैं। इसके अलावा खीर, पूरनपोली, मालपुआ आदि मिठाइयां भी भगवान को भोग लगाई जाती हैं।
आप घर पर ही पूजा कर सकते हैं। हालांकि, मंदिर जाकर पूजा करने से अलग ही अनुभूति होती है। अगर संभव हो तो मंदिर जाकर पूजा करें।
कजरी तीज के अवसर पर विशेष रूप से "कजरी" गीत गाए जाते हैं। ये गीत प्रेम, विरह और वर्षा ऋतु की सुंदरता के बारे में होते हैं।
इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए और किसी का बुरा नहीं सोचना चाहिए। साथ ही पूजा-पाठ को पूरी श्रद्धाभाव से करना चाहिए।
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