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होलिका दहन 2024 तिथि समय और महत्व

होलिका दहन 2024 तिथि समय और महत्व
  • 01 Feb 2024
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होलिका दहन 2024: बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न, तिथि, समय और महत्व

रंगों के त्योहार होली से पहले आता है होलिका दहन, जिसका भारत में बड़े हर्षोल्लास से स्वागत किया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जहां हम अतीत के दुखों को जलाकर नए उत्साह के साथ भविष्य का स्वागत करते हैं। तो आइए साल 2024 में होलिका दहन की तिथि, समय और इसके महत्व को जानें।

 

होलिका दहन 2024 तिथि और समय:

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होलिका दहन हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर होता है। वर्ष 2024 में यह दिन रविवार, 24 मार्च को पड़ रहा है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11:13 बजे से 12:27 बजे तक है। हालांकि, कई लोग सूर्यास्त के बाद किसी भी समय होलिका जलाते हैं।

 

होलिका दहन का प्राचीन इतिहास

होलिका दहन के इतिहास को सदियों पीछे, पौराणिक कथाओं में खोजा जा सकता है। हिरण्यकश्यप, एक असुर राजा, जो खुद को अमर समझता था, ने अपने पुत्र, प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से रोकने की कोशिश की। प्रह्लाद अपने विश्वास के प्रति अडिग रहे, जिससे क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे जलती हुई होलिका की गोद में बैठने का आदेश दिया। हालांकि, भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया और होलिका को ही जला दिया, प्रह्लाद को बचा लिया। इस तरह, होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव बन गया।

 

विभिन्न क्षेत्रों में होलिका दहन की विविध प्रथाएं

होलिका दहन मनाने के तरीके भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में, होलिका के ऊपर देवदार की लकड़ियों का ढेर लगाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में, गोबर के उपलों का उपयोग किया जाता है। कुछ समुदायों में, लोग होलिका में नारियल और गुलाल चढ़ाते हैं, जबकि अन्य लोग परंपरागत गीत गाते और ढोल बजाते हैं।

 

होलिका दहन के पीछे छिपा गहरा अर्थ

होलिका दहन सिर्फ एक उत्सव ही नहीं, बल्कि एक गहरा अर्थ भी समेटे हुए है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, साथ ही नकारात्मक ऊर्जा को जलाकर सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करता है। यह पर्व हमें जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और नकारात्मकता को दूर करने का संदेश देता है।

 

होलिका दहन का महत्व:

होलिका दहन के साथ जुड़ी कई प्रचलित कहानियां हैं, जिनमें से सबसे लोकप्रिय है प्रह्लाद और उसके पिता हिरण्यकश्यप की कहानी। हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था कि न तो अग्नि न ही जल न ही कोई हथियार उसे मार सकता है। उसने अपने दंभ में यह घोषणा कर दी कि वह स्वयं भगवान है। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद एक विष्णु भक्त था, जो हिरण्यकश्यप की बात नहीं मानता था। अहंकारी राजा क्रोधित हो उठा और उसने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर प्रह्लाद को अग्नि में जलाने का निर्णय लिया। होलिका को वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकती।लेकिन अंत में विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका ही आग में जलकर भस्म हो गई। यह घटना हमें सिखाती है कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, अंत में अच्छाई की ही जीत होती है।

 

होलिका दहन

 

होलिका दहन सिर्फ पौराणिक कथा का उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें कई महत्वपूर्ण संदेश देता है:

 

नकारात्मकता का त्याग: होलिका का दहन नकारात्मक विचारों, क्रोध, ईर्ष्या और अहंकार को त्यागने का प्रतीक है।

 

आशा और नए उत्साह का संचार: आग की लपटें अतीत के बोझ को जलाकर भविष्य के लिए आशा और नए उत्साह का संचार करती हैं।

 

सामुदायिक सद्भावना: होलिका दहन समाज के सभी वर्गों के लोगों को एक साथ लाता है, जहां जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति का कोई भेद नहीं होता।

 

यहां पढ़ें: होलिका दहन अंग्रेजी में

 

होलिका दहन की परंपराएं:


होलिका दहन की तैयारी में, समुदाय के सदस्य मिलकर लकड़ी और उपलों का एक विशाल संग्रह बनाते हैं। सूर्यास्त के पश्चात, धार्मिक अनुष्ठानों के संपन्न होने पर, होलिका की अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इस अवसर पर, भक्तगण श्रद्धापूर्वक गुड़, गेहूं और नारियल जैसी पारंपरिक वस्तुएं अर्पित करते हैं। तत्पश्चात, उपस्थित जन होलिका के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, अपनी आस्था और भक्ति व्यक्त करते हैं। जब अग्नि शांत हो जाती है, तो उसकी पवित्र राख को माथे पर लगाया जाता है, जिसे शुभ और सुरक्षात्मक माना जाता है।

 

होलिका दहन के बाद अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। यह दिन खुशियों, हंसी-मजाक और एक-दूसरे पर रंग डालने का होता है। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि हमें अतीत के रंज छोड़कर वर्तमान का आनंद लेना चाहिए और सभी के साथ प्रेम और सद्भावना का व्यवहार करना चाहिए।

 

होलिका दहन से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

1. क्या होलिका दहन की राख घर पर ला सकते हैं?

कुछ क्षेत्रों में परंपरा के अनुसार होलिका की राख का इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचारों में किया जाता है। हालांकि, कई समुदायों में इसे अशुभ मानते हैं। सबसे सुरक्षित तरीका यही है कि आप स्थानीय परंपरा का पालन करें। यदि आप राख घर लाना चाहते हैं, तो उसे किसी पवित्र स्थान पर रखें और कुछ दिनों बाद नदी में विसर्जित कर दें।

 

2. होलिका जलाने का सही तरीका क्या है?

होलिका दहन के लिए कोई निर्धारित विधि नहीं है, फिर भी अग्नि प्रज्वलित करते समय सतर्कता आवश्यक है। प्रज्वलन हेतु शुष्क पर्ण, काष्ठ और अन्य दाह्य सामग्री का उपयोग करें। गैसोलीन या अन्य त्वरित दहनशील द्रव्यों का प्रयोग कदापि न करें। बालकों को सुरक्षित अंतर पर रखें और अग्नि शमन के लिए जल अथवा बालू की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

 

3. क्या होली पर शराब पीना चाहिए?

होली एक धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार है। शराब पीना इस पवित्रता को बिगाड़ सकता है। इसके अलावा, शराब पीने से हादसों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए होली पर शराब पीने से बचना ही बेहतर है।

 

4. क्या होली के रंग त्वचा के लिए हानिकारक हैं?

कुछ रासायनिक वर्णक त्वचा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे वर्णकों के प्रयोग से बचें जो प्रुरिटस या दाह उत्पन्न करते हैं। वानस्पतिक वर्णकों का उपयोग सर्वोत्कृष्ट विकल्प है।

 

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Author : Nikita Sharma

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