भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पावन अवसर होता है। इस साल गुरु पूर्णिमा 2024 21 जुलाई को मनाई जाएगी। आइए, इस लेख में हम गुरु पूर्णिमा के महत्व, इसकी व्रत विधि और शुभ मुहूर्तों के बारे में विस्तार से जानें।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 21 जुलाई 2024, रात्रि 09 बजकर 39 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 22 जुलाई 2024, प्रातः 07 बजकर 46 मिनट
गुरु पूजा का शुभ मुहूर्त: 21 जुलाई 2024, प्रातः 07 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 08 मिनट तक
गुरु पूर्णिमा का भारतीय संस्कृति में कई रूपों में महत्व है:
गुरुओं का सम्मान: यह दिन गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके मार्गदर्शन के लिए उन्हें धन्यवाद देने का अवसर है। गुरु हमें ज्ञान, शिक्षा और संस्कार देते हैं और जीवन में सही दिशा दिखाते हैं।
आध्यात्मिक उन्नति: गुरु पूर्णिमा आध्यात्मिक साधना और ज्ञान प्राप्ति के लिए भी विशेष माना जाता है। इस दिन मौन व्रत रखकर, योग-ध्यान करना और गुरुओं के उपदेशों पर मनन करना आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
ऋषि व्यास की जयंती: गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि व्यास की जयंती भी मनाई जाती है, जिन्हें हिंदू धर्म के महान गुरुओं में से एक माना जाता है। उन्होंने वेदों का संकलन किया और महाभारत ग्रंथ की रचना की।
शिक्षा का महत्व: गुरु पूर्णिमा शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है। इस दिन स्कूल-कॉलेजों में गुरुओं का सम्मान किया जाता है और शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया जाता है।
व्रत संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को साफ-सुथरा करें और गुरु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। दीपक जलाकर धूपबत्ती करें और व्रत करने का संकल्प लें।
गुरु पूजा: विधि-विधान से गुरु की पूजा करें। उन्हें पुष्प, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं और उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद प्राप्त करें। यदि व्यक्तिगत रूप से गुरु के पास जाना संभव न हो, तो उनकी तस्वीर को स्पर्श करके ही पूजा कर सकते हैं।
मौन व्रत का पालन: कुछ लोग इस दिन मौन व्रत भी रखते हैं। इससे मन शांत रहता है और आत्म-चिंतन करने का अवसर मिलता है।
धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन: गुरु पूर्णिमा के दिन धर्मग्रंथों का अध्ययन करना और गुरुओं के उपदेशों पर मनन करना बहुत लाभकारी माना जाता है।
दान का महत्व: इस दिन गरीबों और असहायों की मदद करना और दान देना पुण्यकारी माना जाता है।
गुरु पूर्णिमा सिर्फ एक धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में गहरा सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। यह गुरु-शिष्य परंपरा को जीवित रखने और शिक्षा के क्षेत्र में गुरुओं के योगदान को सम्मानित करने का अवसर है। यह दिन हमें इस बात की याद दिलाता है कि ज्ञान प्राप्ति के लिए एक अच्छे गुरु का होना कितना आवश्यक है और अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना अनिवार्य है।
गुरु पूर्णिमा हमें ज्ञान, संस्कार और मार्गदर्शन देने वाले सभी गुरुओं का सम्मान करने और उन्हें कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। यह हमें आत्म-चिंतन, आध्यात्मिक उन्नति और शिक्षा के महत्व को याद दिलाता है। आइए, इस पवित्र दिन को मनाते हुए अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलकर अपना जीवन सफल बनाएं।
नहीं, गुरु सिर्फ शिक्षक ही नहीं होते। माता-पिता, भाई-बहन, बड़े-बुजुर्ग, मार्गदर्शक, संत आदि भी हमारे गुरु हो सकते हैं। जो हमें ज्ञान, शिक्षा और संस्कार देते हैं, उन सब का सम्मान गुरु पूर्णिमा के दिन किया जा सकता है।
उपवास करना हर किसी के लिए जरूरी नहीं है। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें। अगर उपवास नहीं रख सकते हैं, तो भी गुरुओं का सम्मान, पूजा और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
मौन व्रत का पालन करना भी व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है। अगर मौन रहना मुश्किल है, तो पूजा के दौरान मन ही मन में मंत्रों का जाप किया जा सकता है।
गुरुओं को कोई भी भौतिक उपहार देना अनिवार्य नहीं है। उनकी सेवा भाव से देखभाल करना, उनका सम्मान करना और उनके बताए हुए रास्ते पर चलना ही उनके लिए सबसे बड़ा उपहार है।
गुरु पूर्णिमा का त्योहार हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है, जहाँ गुरुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। अन्य धर्मों में भी गुरुओं का सम्मान है। जैन धर्म में, गुरु पूर्णिमा को "गुरु पूजा दिवस" के रूप में मनाया जाता है, जब जैन गुरुओं को पूजा की जाती है। बौद्ध धर्म में, भिक्षुओं को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सम्मानित किया जाता है, जबकि सिख धर्म में गुरुओं को "गुरु साहिब" के रूप में सम्मान दिया जाता है।
इस तरह के और भी दिलचस्प विषय के लिए यहां क्लिक करें - Instagram
Author :
"मेष राशि के दो व्यक्तियों के बीच समानताएं है जो ए...
"मेष और मिथुन राशि के बीच समानता" विषय पर यह ब्लॉग...
मेष और कर्क राशि के बीच समानताएं और विभिन्नता का ख...
Copyright ©️ 2023 SVNG Strip And Wire Private Limited (Astroera) | All Rights Reserved