हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। वर्ष के 12 महीनों में हर महीने की पूर्णिमा को अलग-अलग मान्यताएं और अनुष्ठान जुड़े होते हैं। वहीं चैत्र पूर्णिमा, जो इस वर्ष 23 अप्रैल 2024 को पड़ रही है, का महत्व और भी बढ़ जाता है। आइए, इस पावन अवसर के बारे में विस्तार से जानें, जिसमें
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा 2024 - 23 अप्रैल को पड़ रही है। चैत्र महीने की पूर्णिमा को हनुमान जयंती और कामदा एकादशी के रूप में भी जाना जाता है।
चैत्र पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 23 अप्रैल 2024 को शाम 6:01 बजे से शुरू होकर 24 अप्रैल 2024 को सुबह 10:04 बजे तक रहेगा। इस अवधि में आप भगवान विष्णु और भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
चैत्र पूर्णिमा की तिथि और महत्व:
चैत्र महीने की पूर्णिमा को हनुमान जयंती और कामदा एकादशी के रूप में भी जाना जाता है। इस पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी पूर्ण अवस्था में होता है, जो सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक अनुभूति को बढ़ाता है। चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से पाप नाश होते हैं, मोक्ष की प्राप्ति होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
चैत्र पूर्णिमा का व्रत और विधि:
प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर या मंदिर में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान हनुमान की प्रतिमा या मूर्ति का विधि-विधान से पूजन करें।
उन्हें पुष्प, फल, तुलसी दल और मिठाई का भोग अर्पित करें।
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय", "ॐ हनुमते नमः" अथवा "ॐ गं गणपते नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
दिनभर सात्विक भोजन करें या फलाहार करें।
शाम को फिर से पूजा करें और आरती उतारें।
अगले दिन सूर्योदय के बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर स्वयं भोजन ग्रहण करें।
व्रत रखने के शुभ फल:
पापों का नाश और जीवन में शुभता का संचार होता है।
सुख-समृद्धि, मान-सम्मान और आर्थिक उन्नति मिलती है।
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
आध्यात्मिक प्रगति होती है और सकारात्मक विचारों का विकास होता है।
अच्छा स्वास्थ्य और मन की शांति मिलती है।
यहां पढ़ें: चैत्र नवरात्रि अंग्रेजी में
सकारात्मकता लाने के उपाय:
जरूरतमंदों की सहायता करें और दान-पुण्य करें।
तुलसी का पौधा लगाएं और उसकी नियमित रूप से देखभाल करें।
गायत्री मंत्र का जाप करें और सत्यनिष्ठा का पालन करें।
किसी भी जीव को हानि न पहुंचाएं और प्रकृति का सम्मान करें।
क्रोध, ईर्ष्या और नकारात्मक भावों से बचें और सकारात्मक रहें।
चैत्र पूर्णिमा 2024 से जुड़े प्रश्न
क्या चैत्र पूर्णिमा पर निर्जला व्रत रखना आवश्यक है?
नहीं, चैत्र पूर्णिमा पर निर्जला व्रत रखना आवश्यक नहीं है। आप फलाहार भी कर सकते हैं।
चैत्र पूर्णिमा का व्रत कितने दिन का होता है?
यह एक दिवसीय व्रत है। व्रत की शुरुआत चैत्र पूर्णिमा की सुबह से होती है और अगले दिन सूर्योदय के बाद भोजन ग्रहण करने के साथ समाप्त होती है।
हनुमान जयंती और चैत्र पूर्णिमा का व्रत एक ही है?
जी हां, हनुमान जयंती और चैत्र पूर्णिमा का व्रत एक ही है। इस दिन दोनों भगवान विष्णु और भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना की जाती है। हालांकि, व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना होता है, जबकि भगवान हनुमान का जन्मोत्सव भी इसी दिन मनाया जाता है।
क्या चैत्र पूर्णिमा पर किसी विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए?
हमें यथा-योग्य "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय", "ॐ हनुमते नमः" या "ॐ गं गणपते नमः" मंत्र का जाप किया जा सकता है। इसके अलावा, आप अपने किसी प्रिय मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।
मैं चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर और क्या कर सकता हूं?
इस पावन अवसर पर आप कई अन्य सकारात्मक गतिविधियों में भाग ले सकते हैं, जैसे:
श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना
धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना
प्रवचन और सत्संगों में शामिल होना
किसी मंदिर की सेवा करना
प्रकृति में समय बिताना और ध्यान लगाना
चैत्र पूर्णिमा आध्यात्मिकता और सकारात्मकता का अवसर है। इस दिन को शुभ कार्यों में लगाकर आप अपने जीवन में खुशहाली और सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
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