चैत्र नवरात्रि भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो नौ दिनों तक भगवानी दुर्गा के रूपों की पूजा का उत्सव मनाता है। इसी उत्सव के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है, जिन्हें माँ शैलपुत्री के बाद आठवे रूप में पूजा जाता है। इस दिन का महत्व, पूजा विधि, माँ महागौरी के मंत्र के साथ, हम इस ब्लॉग में जानेंगे।
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के आठवें तिथि को मनाया जाता है। यह नवरात्रि महोत्सव का आठवां दिन होता है। जो इस साल 15 अप्रैल, 2024 – को मनाया जाएगा।
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व उत्कृष्ट है। इस दिन माँ महागौरी की पूजा करने से भक्तों को शुभ फल, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। माँ महागौरी का रूप परम शांति, सौम्यता, और आदर्शता को प्रतिपादित करता है।
माँ महागौरी की पूजा में धूप, दीप, पुष्प, फल, मिठाई, और नैवेद्य का अर्पण किया जाता है। इसके बाद माँ महागौरी के मंत्र का जाप किया जाता है।
"ॐ देवी महागौर्यै नमः॥"
नवरात्रि के पावन पर्व पर अगर आप व्यस्त हैं या घर से बाहर हैं, तो अब ऑनलाइन पूजा का विकल्प भी मौजूद है। कई वेबसाइट और ऐप्स के द्वारा आप घर बैठे ही पूजा का संचालन करवा सकते हैं। इन सेवाओं में वेद पाठ करने वाले पंडित शामिल होते हैं, जो विधि-विधान से पूजा संपन्न करवाते हैं. साथ ही आप अपनी मनोकामनाओं के अनुसार पूजा का सामान भी ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन, हम माँ महागौरी की पूजा करते हैं। इस दिन माँ महागौरी को अर्पित करने से हमें शांति, सौम्यता और आदर्शता की प्राप्ति होती है। माँ महागौरी का रूप उत्कृष्ट शक्ति और साहस को प्रतिपादित करता है, और उनकी कृपा से हमें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। इस नवरात्रि में, हम सभी को माँ महागौरी की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव हो। जय माँ महागौरी।
माँ महागौरी की कथा में उनके शांत और सौम्य स्वरूप की महिमा का वर्णन है, जो उनके भक्तों को शांति और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं।
माँ महागौरी की पूजा में धूप, दीप, पुष्प, फल, मिठाई, और नैवेद्य का अर्पण किया जाता है। इसके बाद माँ महागौरी के मंत्र का जाप किया जाता है।
माँ महागौरी का रूप परम शांति, सौम्यता, और आदर्शता को प्रतिपादित करता है। वे देवी दुर्गा के स्वर्णिम अवतार में हैं।
माँ महागौरी के अन्य नाम शुभ्रगौरी और अश्वरूपा हैं।
माँ महागौरी की पूजा से भक्तों को शुभ फल, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। वे भक्तों के दुःखों को दूर करती हैं और उन्हें आदर्शता की दिशा में ले जाती हैं।
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