हिंदू धर्म में, अजा एकादशी का विशेष महत्व है। यह भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ करने के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
अजा एकादशी तिथि 2024
अजा एकादशी गुरुवार, 29 अगस्त 2024 को ही मनाई जा रही है। इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लोगों का मानना है कि इस व्रत को करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर
पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति
मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करना
आध्यात्मिक उन्नति और शांति की प्राप्ति
एकादशी तिथि प्रारंभ: 29 अगस्त, 2024, सुबह 01:18 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 30 अगस्त, 2024, सुबह 01:36 बजे
व्रत पारण का शुभ मुहूर्त: 30 अगस्त, 2024, सुबह 08:44 बजे से दोपहर 11:12 बजे तक
व्रत पूर्व तैयारी: स्नान, सात्विक भोजन, मौन व्रत का पालन
पूजा सामग्री: मूर्ति / चित्र, फल, फूल, धूप, दीपक, पंचामृत, तुलसी आदि
पूजा प्रारंभ: सूर्योदय से पहले स्नान करें और पूजा स्थल को साफ करें
आह्वान: भगवान विष्णु का ध्यान करें और उन्हें आमंत्रित करें
षोडशोपचार पूजा: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना श्रेष्ठ
आरती और स्तुति: भगवान विष्णु की आरती और स्तुति करें
व्रत का पालन: दिन भर निराहार और निर्जल रहें, जागरण करें
व्रत पारण: द्वादशी तिथि पर ब्राह्मण भोजन और दान के बाद स्वयं भोजन करें
मान्यताएं और परंपराएं: अजा एकादशी को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति करने के लिए समर्पित किया जाता है। इस दिन का व्रत रखकर विशेष पुण्य प्राप्त किया जा सकता है।
व्रत के नियम और उनका पालन: अजा एकादशी के व्रत में नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। व्रती इस दिन नींदा, अन्न और गेहूँ के आटे से बनी हुई चीजें नहीं खाते हैं। विशेषतः इस दिन जल में स्नान करने का महत्व होता है।
व्रत के लाभ और आध्यात्मिक फल: अजा एकादशी का व्रत रखने से विशेष आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ होता है। यह व्रत मन को शुद्धि और सात्विकता प्रदान करता है और आत्मा की ऊर्जा को बढ़ाता है। इसके अलावा, इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
क्षेत्रीय भिन्नताएं और परंपरागत तरीके: अजा एकादशी के व्रत के तरीके और परंपराएं भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होती हैं। विभिन्न समुदायों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है और उनकी खास परंपराएं भी होती हैं।
अजा एकादशी व्रत आस्था और श्रद्धा के साथ किया जाने वाला पर्व है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में भी सहायक होता है।
यह व्यक्तिगत आस्था और इच्छा पर निर्भर करता है।
सात्विक आहार, साफ-सफाई, सकारात्मक सोच, परोपकार आदि।
गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्तियों और बच्चों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार व्रत का पालन करें।
आध्यात्मिक उन्नति, शांति, मोक्ष की प्राप्ति, पापों का नाश आदि।
अजा एकादशी का व्रत आत्म-नियंत्रण को बढ़ावा देता है और जीवन को शुद्ध और सात्विक बनाने में मदद करता है।
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