कोजागिरी शरद पूर्णिमा मां लक्ष्मी पूजा क्यों होती है खास ?

कोजागिरी शरद पूर्णिमा मां लक्ष्मी पूजा क्यों होती है खास ?
  • 19 Mar 2024
  • Comments (0)

 

कोजागर, शरद पूर्णिमा की पवित्र रात में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इसे कोजागरा या कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष अवसर होता है। इस लेख में हम कोजागर, इसकी तिथि, पूजा-विधि, व्रत का महत्व और इससे जुड़ी अन्य रोचक बातों के बारे में विस्तार से जानेंगे।


कोजागर कब है?

कोजागर हर साल अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। अश्विन मास हिंदू कैलेंडर के सातवें महीने को कहा जाता है, जो आमतौर पर सितंबर/अक्टूबर के महीनों में पड़ता है।

 

कोजागरी पूजा का महत्व
कोजागरी पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए, उन्हें धन और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

इस पर्व का महत्व इस बात से भी बढ़ जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद अपनी पूरी खूबसूरती के साथ चमकता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणें अमृत के समान होती हैं।

इस तरह, कोजागर का पर्व धन-धान्य, सुख-समृद्धि, आनंद और आत्मिक उन्नति की कामना से मनाया जाता है।


कोजागरी पूजा कैसे करें?
कोजागरी पूजा की विधि काफी सरल है। यहां कुछ मुख्य बातें बताई गई हैं:

1. स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
2. पूजा स्थान को साफ-सुथरा कर लें और दीप जलाएं।
3. माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
4. अक्षत, फूल, फल, मिठाई, सुपारी आदि चढ़ाएं।
5. माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करें।
6. रात्रि जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
7. पूजा के अगले दिन सुबह भोजन ग्रहण करें (व्रत रखने वालों के लिए)।

ध्यान दें कि यह एक सामान्य विधि है। अपने क्षेत्र और परंपरा के अनुसार विशिष्ट विधि के लिए अपने स्थानीय पंडित या धर्मगुरु से सलाह लेना उचित है।

 

कोजागर व्रत का महत्व
कोजागर के दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। यह व्रत स्वास्थ्य लाभ, मन की शांति और आत्मिक शुद्धि के लिए किया जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
 

कोजागर में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के अन्य तरीके
खीर बनाकर चंद्रमा को अर्पित करें।
घर को दीपों से सजाएं और प्रकाश फैलाएं।
गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
परिवार के साथ मिलकर खुशियां मनाएं।


कोजागर से जुड़ी दिलचस्प बातें
कोजागर से जुड़ी कुछ रोचक बातें इस पर्व को और भी खास बनाती हैं:

1. "कोजागर" शब्द का अर्थ: "कोजागर" शब्द दो शब्दों - "को" (कौन) और "जागर" (जाग रहा है) से मिलकर बना है। माना जाता है कि इस रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और "कोजागर" कहकर पूछती हैं कि कौन जाग रहा है। जो जागकर उनकी पूजा करता है, उसे वह आशीर्वाद देती हैं।

2. खीर का महत्व: कोजागर से खीर का गहरा संबंध है। इसे शुभ संकेत माना जाता है और माता लक्ष्मी को भोग लगाया जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन से जो अमृत निकला था, उसी से खीर का निर्माण हुआ था।

3. कहानियों और किंवदंतियों का संग्रह: कोजागर की रात कहानियों और किंवदंतियों का संग्रह करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस रात कहानियां सुनने और सुनाने से शुभ फल मिलता है।

4. खेल और मनोरंजन: कोजागर के अवसर पर कई जगह लोकप्रिय खेल खेले जाते हैं, जैसे चौपड़, पहेलियां और गीत-संगीत का आयोजन किया जाता है। इससे खुशहाली और उत्सव का माहौल बनता है।

 

निष्कर्ष
कोजागर शुद्धता, भक्ति, आशा और खुशियों का पर्व है। यह अवसर हमें माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने, सकारात्मकता बढ़ाने और आत्मिक उन्नति का प्रयास करने का मौका देता है। इस दिन पूजा-पाठ, व्रत, दान और परोपकार के माध्यम से हम आध्यात्मिक शांति और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना कर सकते हैं।


कोजागर से जुड़े मुख्य सवाल और उनके जवाब:


कोजागर पूजा में कौन-सी सामग्री चढ़ानी चाहिए?
माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर, फल, फूल, मिठाई, सुपारी, नारियल, चंदन, हल्दी, कुमकुम, दीप, अक्षत (चावल), खीर, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), नारियल पानी

 

कोजागर व्रत का पारण कब और कैसे करना चाहिए?
पारण का समय: अगले दिन, जब चंद्रमा उदय हो जाए, तब पारण करें।
पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें  उसके बाद भगवान को भोग लगाएं, कथा-कीर्तन करें, चंद्रमा को अर्घ्य दें। फल, फूल, मिठाई का भोग लगाएं, ब्राह्मणों को भोजन कराएं, अंत में, स्वयं भोजन ग्रहण करें।


कोजागर के दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
व्रत रखने वालों को दिनभर भोजन नहीं करना चाहिए, झूठ बोलने, क्रोध करने और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए, पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन में ध्यान लगाना चाहिए, दान-पुण्य करना चाहिए, रात्रि जागरण करना चाहिए।

कोजागर का पर्व किन राज्यों में ज्यादा मनाया जाता है?
उत्तर भारत में : बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पूर्व भारत: पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड तथा दक्षिण भारत: तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक पश्चिम भारत: गुजरात, महाराष्ट्र


कोजागर की कहानियां और किंवदंतियां कौन-सी हैं?
माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कहानियां, समुद्र मंथन की कहानी, चंद्रमा को अमृत का प्रसाद देने की कहानी, विभिन्न लोककथाएं और किंवदंतियां

 

 

इस तरह के और भी दिलचस्प विषय के लिए यहां क्लिक करें - Instagram

Author :

Are You Compatible?

Select your and your partner's zodiac signs to Check compatibility

Talk to an astrologer on call or chat for accurate and personalized astrology predictions
Astroera Loader

Copyright ©️ 2023 SVNG Strip And Wire Private Limited (Astroera) | All Rights Reserved