नवरात्रि की महानवमी: आध्यात्मिकता और परोपकार का पर्व

नवरात्रि की महानवमी: आध्यात्मिकता और परोपकार का पर्व
  • 16 Mar 2024
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नौ शक्तिशाली दिनों तक चलने वाले हिंदू पर्व नवरात्रि की समाप्ति महानवमी के साथ होती है। यह आशा, आत्मबल और नारी शक्ति का उत्सव है। इस दिन, माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है, जो सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली देवी के रूप में जानी जाती हैं। महानवमी नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है कन्या पूजन, जिसका अर्थ है कन्याओं की पूजा करना। माना जाता है कि कन्याओं में माँ दुर्गा का अंश होता है और उनकी पूजा से आशीर्वाद और सौभाग्य मिलता है, आइए, नवरात्रि की महानवमी के बारे में विस्तार से जानें, जिसमें कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और मंत्र शामिल हैं।

 

महानवमी की महत्वपूर्ण तिथियां और मुहूर्त
वर्ष 2024 में महानवमी 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
पारंपरिक पूजा का मुहूर्त: सूर्योदय से लेकर दोपहर तक का समय माना जाता है।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: विशेषज्ञों के अनुसार, इस दिन कन्या पूजन दोपहर बाद, यानी सूर्यास्त से ठीक पहले करना अधिक शुभ माना जाता है।

 

महानवमी का महत्व:
आध्यात्मिकता का समापन: नवरात्रि के नौ दिनों में की गई साधना और उपासना का पूर्ण फल महानवमी के साथ प्राप्त होता है।
सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा: इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा से आत्मज्ञान, सिद्धियों की प्राप्ति और मनोवांछित फल मिलते हैं।
कन्या पूजन का महत्व: कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और बुराई दूर होती है।

 

कन्या पूजन की विधि:
1. मां दुर्गा पूजा की तैयारी: घर को साफ करें, पूजा स्थान को सजाएं। नौ कन्याओं (2-10 वर्ष आयु) को बुलाएं। उनकी थाली सजाएं, जिसमें फल, मिठाई, नारियल, वस्त्र आदि रखें
2. आवभगत: कन्याओं का स्वागत करें, उनके पैर धोएं, आसन दें।
3. पूजा आरंभ: कन्याओं को तिलक लगाएं, माला पहनाएं। चंदन, सिंदूर आदि चढ़ाएं।
4. मंत्र जाप: "या देवी सर्वभूतेषु..." या कोई अन्य पसंद का मंत्र का जाप करें।
5. भोजन और दक्षिणा: कन्याओं को भोजन कराएं, उनकी पसंद के अनुसार उपहार दें।
6. आशीर्वाद: कन्याओं से आशीर्वाद लें और उन्हें विदा करें।

 

महत्वपूर्ण मंत्र:

सिद्धिदात्री मंत्र: ॐ सिद्धां सिद्धिदात्र्यै सप्रेमा प्रार्थये च नमः||
कन्या पूजन मंत्र: कन्याकुमार्यै नमस्ते सर्वसिद्धिप्रदायिन्ये, गंगे च यमुने चैव सरस्वत्यम्बज भामिनि।
दुर्गा आरती: जय-जय दुर्गे जगजननी, जगतापिता जगमेवा एका। त्रिनेत्रिणी च सरस्वती, चतुर्भुजा शूलधारा। पंचबक्त्रा दश भुजा, देवी शेर पे सवारी।

 

नवरात्रि की महानवमी: घर में करें कन्या पूजन की तैयारी
सामग्री जुटाएं (Gather the essentials)
कन्याओं के लिए: 9 थालियां, नारियल, फल, मिठाई, कपड़े, दक्षिणा (धन या उपहार), सुपारी, सिंदूर, मेहंदी, चूड़ियां, कलश, दीपक
पूजा के लिए: माँ दुर्गा की प्रतिमा/तस्वीर, लाल चुनरी, लाल फूल, चंदन, अक्षत, पंचामृत, मंत्र पुस्तिका।

 

आपकी आस्था अनुसार सजावट:
पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके रंगोली बनाएं या फूलों से सजाएं।
माँ दुर्गा की प्रतिमा/तस्वीर को लाल चुनरी से सजाएं और लाल फूल चढ़ाएं।
कन्याओं के लिए रखी वस्तुओं को साफ और सुंदर बनाएं।
घर के मुख्य द्वार को आम के पत्तों और फूलों से सजाएं।

 

भोजन तैयार करें :
स्वच्छ और सात्विक भोजन बनाएं, जैसे पूरियाँ, हलवा, चावल, दाल, सब्जी आदि।
मिठाई, फल और पान भी परोसें।
भोजन को पहले माँ दुर्गा को भोग लगाएं, फिर कन्याओं को परोसें।

 

नवरात्रि की महानवमी से जुड़े सवाल और उनके जवाब

क्या किसी भी कन्या से कन्या पूजन किया जा सकता है?
यह परंपरागत रूप से माना जाता है कि 2-10 वर्ष की आयु वाली शुद्ध हृदय की कन्याओं में माँ दुर्गा का अंश होता है। हालांकि, आप अपनी आस्था और परिस्थितियों के अनुसार निर्णय ले सकते हैं।

 

क्या भोजन अनिवार्य है?
भोजन करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह परंपरा का हिस्सा है। आप कन्याओं को दक्षिणा या उपहार भी दे सकते हैं।


क्या मंत्रों का उच्चारण करना जरूरी है?
अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार आप किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं। महत्वपूर्ण है कि आपका मन शुद्ध और भाव विनम्र हों।

 

क्या पूजा किसी भी समय की जा सकती है?
पारंपरिक रूप से कन्या पूजन को दोपहर बाद, सूर्यास्त से ठीक पहले करने का सुझाव दिया जाता है। लेकिन आप अपनी सुविधा 

 

क्या घर पर ही कन्या पूजन करना शुभ होता है?
पूजा कहीं भी की जा सकती है, जब तक आपका मन साफ हो और श्रद्धा भाव से कार्य करें।

 

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