Rinmochak Mangal Stotra is a sacred hymn dedicated to Lord Mangal (Mars), known for removing financial debts and obstacles. This powerful stotram is believed to bring relief from financial burdens, improve stability, and enhance career growth. Let’s explore its significance, meaning, and benefits.
The name itself suggests its purpose – Rin Mochak means “debt remover,” and Mangal refers to the planet Mars. According to Vedic astrology, Mangal is a fiery planet influencing courage, energy, and financial stability. When Mars is weak or afflicted in a horoscope, it can lead to financial difficulties and legal troubles. Chanting this stotram helps balance Mars’s effects and invites prosperity.
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मावरोधकः॥
अर्थ:
हे मंगल देव! शास्त्रों में आपके सात नाम बताए गए हैं—मंगल, भूमिपुत्र (पृथ्वी से उत्पन्न), ऋणहर्ता (कर्ज से मुक्त कराने वाले), धनप्रद (धन देने वाले), स्थिरासन (अडिग रहने वाले), महाकाय (विशाल शरीर वाले), और सर्वकमावरोधक (सभी बाधाओं को दूर करने वाले)।
लोहितो लोहिताङ्गश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥
अर्थ:
हे मंगल देव! आपके नामों में आठवां नाम लोहित, नौवां लोहितांग, दसवां सामगानां (कृपा करने वाले), ग्यारहवां धरात्मज (पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न), बारहवां कुज, तेरहवां भौम, चौदहवां भूतिद (ऐश्वर्य देने वाले), और पंद्रहवां भूमि नंदन (पृथ्वी को आनंद देने वाले) है।
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
वृष्टे कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥
अर्थ:
हे मंगल देव! आपके नामों में सोलहवां अंगारक, सत्रहवां यम, अठारवां सर्व रोग पहारक (सभी कठिनाइयों को दूर करने वाला), उन्नीसवां वृष्टिकर्ता (वर्षा करने वाला), बीसवां वृष्टिहर्ता (आकाल लाने वाला), और इक्कीसवां सर्वकाम फलप्रदा (सभी इच्छाओं का फल देने वाला) है।
एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥
अर्थ:
हे मंगल देव! जो व्यक्ति सच्चे मन और विश्वास से आपके इन इक्कीस नामों का वाचन करता है, वह कभी कर्ज़ में नहीं फँसता और अपार धन प्राप्त करता है।
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्ति-समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहरतं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥
अर्थ:
हे मंगल देव! आपकी उत्पत्ति पृथ्वी के गर्भ से हुई है, और आपकी आभा बिजली जैसी चमकदार है। सभी शक्तियों को धारण करने वाले कुमार मंगल देव को मैं श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करता हूँ।
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत् पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥
अर्थ:
हे मंगल देव! आपके मंगल स्तोत्र का पाठ मनुष्य को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करना चाहिए, जिससे वह अपने मन के विकार दूर कर सके। जो व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ करता है और दूसरों को सुनाता है, उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
अङ्गारक! महाभान! भगवन्! भक्तवत्सल!
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥
अर्थ:
हे अंगारक! आप जो अग्नि की ज्वाला जैसे हैं, महाभाग और भक्तों के प्रति वात्सल्य रखने वाले हैं, आपको हम नमन करते हैं। कृपया हमारे उधारी को चुका कर, कर्ज को हमेशा के लिए समाप्त कर दीजिए।
ऋणरोगादि-दारिद्रयं ये चाऽन्ये ह्यपमृत्यवः।
भय-क्लेश-मनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥
अर्थ:
हे मंगल देव! अगर मुझ पर किसी का बकाया हो तो उसे समाप्त कर दीजिए, और जो भी व्याधि हो उसे दूर कर दीजिए। मेरी गरीबी दूर कर, अकाल मृत्यु के भय को समाप्त कीजिए। मुझे किसी भी तरह का डर, क्लेश या दुःख हो तो उसे हमेशा के लिए दूर कर दीजिए।
अतिवक्र! दुराराध्य! भोगमुक्तजितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥
अर्थ:
हे मंगल देव! आपको प्रसन्न करना बहुत कठिन है, आप मुश्किल से खुश होने वाले देवता हैं। जब आप अपनी कृपा बरसाते हैं, तो व्यक्ति को समस्त सुख और समृद्धि मिलती है। लेकिन जब आप नाराज होते हैं, तो उसकी सारी सत्ता को नष्ट कर देते हैं।
विरिञ्च-श्क्र-विष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥
अर्थ:
हे महाराज! जब आप नाराज होते हैं, तो अपनी कृपा से किसी को हीन कर देते हैं। आपकी नाराजगी से ब्रह्मा, इन्द्र और विष्णुजी का साम्राज्य भी नष्ट हो सकता है, तो मेरे जैसे साधारण व्यक्ति की क्या बात है। आप सबसे शक्तिशाली और महान राजा हैं।
पुत्रान् देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गताः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥
अर्थ:
हे भगवान! मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे पुत्र दें। मैं आपके दर पर आया हूं, कृपया मेरी इच्छा पूरी करें। मुझे किसी से उधार नहीं लेना पड़े, मैं कभी भी दूसरों से हाथ न फैलाऊं। मेरी गरीबी दूर करें और मेरे सभी कष्टों का नाश करें। जो मेरे दुश्मन हैं, उनके डर से मुझे मुक्त करें।
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतीं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥
अर्थ:
जो भी व्यक्ति इन बारह श्लोकों वाले ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करता है, वह मंगल देव की कृपा से धन-धान्य से संपन्न हो जाता है। वह व्यक्ति कुबेर भगवान की तरह धन का मालिक बन जाता है और हमेशा युवा रहता है।
॥ इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्॥
This stotram is a divine prayer praising Lord Mangal, seeking blessings for debt removal and financial well-being. Here’s a simple meaning:
Chanting this stotram regularly brings numerous benefits:
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The best time to recite this stotram is on Tuesdays, the day associated with Lord Mangal. It is recommended to chant it 11, 21, or 108 times early in the morning after a bath. Offering red flowers and lighting a diya with mustard oil enhances its effects.
Many people confuse these terms, so let’s clarify:
Rinmochak Mangal Stotra is a highly effective hymn for those struggling with financial instability and debts. By chanting it with devotion, one can experience prosperity, confidence, and peace. Whether facing monetary challenges or seeking career success, this stotram serves as a divine solution. If you want detailed guidance, consulting the Best Astrologer in India can help you understand its impact on your horoscope.
यह एक पवित्र स्तोत्र है जो भगवान मंगल की कृपा प्राप्त करने और कर्ज से मुक्ति पाने के लिए पढ़ा जाता है।
इसे मंगलवार को सूर्योदय के समय, स्नान करने के बाद, 11, 21 या 108 बार पढ़ना सबसे शुभ माना जाता है।
नहीं, यह मंगल ग्रह से जुड़े अन्य दोषों, कानूनी परेशानियों और करियर ग्रोथ के लिए भी लाभकारी है।
इसे शुद्ध मन से, लाल वस्त्र धारण करके, और भगवान मंगल के चित्र के सामने पढ़ना अच्छा होता है।
हाँ, इसे कोई भी व्यक्ति पढ़ सकता है, लेकिन विशेष रूप से जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर हो, उनके लिए यह ज्यादा लाभदायक होता है।
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Author : Krishna
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